भाटापारा/khabar-Bhatapara.in:- भारत के साथ विदेशों मे भी आदिवासी ही मूलनिवासी इस सृष्टि के प्रथम पुरूष शक्ति के रूप मे माने जाते है।आदिवासी संस्कृति ही मूल संस्कृति है।जो प्रकृति संरक्षक के साथ प्रकृति पूजक है।पेड़ पौधे जल जंगल पहाड़ पर्वत को देव शक्ति के रूप मे विशेष तिथि मे पूजा अर्चना किया जाता है।जिसके तहत पेड़ पौधा,पर्वत नदी नाला सभी संरक्षित रहता है।जिससे सृष्टि मे उत्पन्न सभी जीव जन्तु संरक्षित होते हुए वातावरण शुद्ध रहता है।
हमें आदिवासी धर्म संस्कृति को संरक्षित रखते हुए समाज के मूल पहचान को संरक्षित रखने मानने और उसपर चलने की आवश्यकता है।धर्म संस्कृति बचेगा तभी समाज की पहचान रह पायेगा।
धर्म संस्कृति को संरक्षित कर समाज की पहचान बरकरार रखते हुए समाज मे जागृति और एकता लाने हक अधिकार को संरक्षित रखने शिक्षा के क्षेत्र मे आगे आने तथा शिक्षा को हथियार बनाने की आवश्यकता है।आज दुरदराज ,जंगल, पहाड़ तथा ग्रामीण अंचल मे रहने वाले आदिवासियों मे शिक्षा का प्रचार प्रसार की आवश्यकता है।कहीं कहीं बेरोजगारी, भूमि हीन ,गरीबी शिक्षा के क्षेत्र बाधा साबित हो रहा है।इसके लिए समाजिक संगठनों को ,आगे आने की आवश्यकता है।शिक्षा का प्रचार प्रसार युद्ध स्तर पर करने की आवश्यकता है।
आदिवासी समाज मे अशिक्षा के साथ नशापान,गलत संगति भी
समाज विकास मे बाधक है।खासकर युवा वर्ग अधिक से अधिक 8वी से 12वी तक ही पढ़ पा रहे हैं।लड़को की तुलना मे लड़कियां शिक्षा और रोजगार के क्षेत्रों आगे बढ़ रही है।जो समाज के लिए बहुत अच्छा संदेश हैं।कहीं कहीं ग्रामीण क्षेत्रों जरूर मां बाप लड़कियों को ज्यादा नहीं पढ़ती यह सोचकर की चुल्हा ही फुंकेगी करके जो गलत सोच है।शिक्षित लड़कियां दो परिवार को शिक्षित करती है ।इसलिए समाज में लड़कियों को अधिक से अधिक शिक्षा हेतु प्रेरित करने की आवश्यकता है।
शिक्षा के साथ अपने धर्म संस्कृति और पहचान को संरक्षित करने समाज को सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता है।पर कही कहीं शिक्षा और नौकरी पाने के बाद लोग अपने समाज और मूल संस्कृति को भूल जाते हैं।यहीं समाज और मूल धर्म संस्कृति का पतन भी होता है।संविधान और संवैधानिक हक अधिकारो की अध्ययन और सुरक्षा जरूरी है।तथा शिक्षा का महत्व रह जायेगा।
आदिवासी समाज मे राजनीतिक संरक्षण नहीं के बराबर है।समाज के नेता मंत्री अधिकारी अपने तक सीमित रहते हैं।जिसके कारण समाज आगे नहीं बढ़ पाता और इसीलिए समाज भटक कर अन्य समाज संगठनों झंडों का सहारा लेते हैं।जिसके कारण समाज उपेक्षित होता है।समाज के युवा शक्ति आगे बढ़ नहीं पाते।
इन सब बातो को ध्यान मे रखते हुए समाज को शिक्षा की दृष्टि से ऊपर उठाने शिक्षा को हथियार बनाने की आवश्यकता है।
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