बलौदाबाजार:- khabar-bhatapara.in :- कलेक्टर रजत बंसल की अध्यक्षता में राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम की जिला स्तरीय समन्वय समिति बैठक संपन्न हुई। जिसमे फाइलेरिया हेतु सामूहिक दवा सेवन अभियान को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने हेतु आम जनता में जागरूकता का प्रचार प्रसार किया जाए तथा लोगों को किसी प्रकार की दवा के माध्यम से हुई प्रतिक्रिया के संबंध में निश्चिंत रहने के निर्देश दिए है। जिससे कार्यक्रम सफलतापूर्वक क्रियान्वित हो सके।
इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एम पी महिस्वर ने बताया कि, देश से वर्ष 2030 तक फाइलेरिया रोग के उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है । फाइलेरिया जिसे की सामान्य भाषा में हाथी पाँव कहा जाता है जिसका एक अन्य रूप हाइड्रोसील भी होता है क्यूलेक्स मच्छर के काटने से परजीवी संक्रमण स्वस्थ व्यक्ति को हो जाता है । संक्रमण के कई सालों बाद बीमारी अपने रूप में प्रकट होती है ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि बीमारी से पूर्व ही प्रतिरोध के तौर पर फाइलेरिया की दवाई का सेवन कर लिया जाए । जिले में माह दिसंबर में इस हेतु सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम 12 से 18 दिसंबर तक आयोजित किया जाएगा। देश से रोग के उन्मूलन के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए बलौदा बाजार में इस समय रात्रि में रक्त पट्टी बनाई जा रही है । इस सम्बंध में राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी डॉ अभिजीत बनर्जी ने बताया कि,जिले के प्रत्येक विकासखण्ड से 2-2 ग्राम इस रात्रि कालीन रक्तपट्टी जांच में लिए गए हैं। क्योंकि फाइलेरिया का परजीवी मनुष्य के आराम करने के दौरान रक्त में अधिक सक्रिय होता है जिस कारण फाइलेरिया की जांच के लिए रात में जब व्यक्ति आराम करता है तब इसके सैंपल लिए जाते हैं । सर्वे में हर विकासखण्ड में एक सेंटिनल साइट और एक रैंडम साइट हैं । सेंटिनल साइट वह जगह है जहां हाथी पांव के केस सबसे अधिक है जबकि रेंडम साइट ऐसे स्थान हैं जहां 2019 में 6 से 7 साल के बच्चे पॉजिटिव पाए गए थे । सेंटिनल साइट हैं – सरसींवा, कसडोल,लवन,गिधपुरी,सिमगा,टेहका जबकि रैंडम साइट हैं -गिरसा, बलार, अहिल्डा,अमेरा,आमकोनी, तुरमा।अभी वर्तमान रात्रि कालीन रक्त पट्टी कार्य में प्रत्येक साइट से 20 साल से ऊपर के 300 लोगों के रक्त पट्टी की जांच की जा रही है। इस कार्य में ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक,सुपरवाइजर सी एच ओ सम्मिलित हैं। गौरतलब है कि फाइलेरिया निमेटोड प्रकार के परजीवी के कारण शरीर में जन्म लेता है जिसका वाहक क्यूलेक्स नामक मच्छर होता है । इससे बचाव इसलिए भी जरूरी है क्योंकि एक बार बीमारी के लक्षण उत्पन्न हो जाने के पश्चात उसका कोई इलाज उपलब्ध नहीं है आमतौर पर फाइलेरिया हाथी पाँव के रूप में प्रगट होता है । इसका एक प्रकार हाइड्रोसिल भी जिसमें पुरूष के अंडकोश में पानी आ जाता है ,जिसका इलाज ऑपरेशन से हो जाता है किंतु हाथी पांव का कोई इलाज नहीं है। इस कारण ही शासन द्वारा सामूहिक दवा सेवन जैसी गतिविधियां समय-समय पर की जाती है। बलौदाबाजार जिले में 30 सितंबर तक की स्थिति में 193 हाथी पाँव के और 213 हाइड्रोसिल के प्रकरण है।
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