भाटापारा/khabar-bhatapara.in:-गुजरात प्रांत के नर्मदा जिला स्थित एकतानगर (केवडिया) में दिनाँक 18 एवं 19 अगस्त को भारतीय भाषाओं का संगम हुआ। गुजरात साहित्य अकादमी गाँधीनगर, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली और स्टेच्यू ऑफ यूनिटी प्रशासन एकतानगर के संयुक्त तत्वावधान में इस कार्यक्रम का आयोजन रखा गया था। भारत के 41 प्रांत (केन्द्र शासित प्रदेश सहित) से 230 से अधिक भाषा सेवाधर्मियों के द्वारा विचार मंथन किया गया। अपने-अपने मातृभाषा के इन सेवकों को गुजरात सरकार द्वारा राजकीय अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक सम्पूर्ण भारतवर्ष के सभी राज्यों से पधारे नामांकित विद्वान, भाषाविद् तथा विभिन्न राज्यों की साहित्य अकादमी के अध्यक्ष, महासचिव तथा विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, केंद्रीय हिंदी संस्थान, वैज्ञानिक शब्दावली आयोग जैसे विभिन्न भाषा संस्थानों के सदस्य और प्रमुख अधिकारी उपस्थित रहे। छत्तीसगढ़ प्रांत से राजभाषा छत्तीसगढ़ी के प्रतिनिधि के रूप में कन्हैया साहू ‘अमित’, हेमंत कुमार ‘अगम’ एवं चोवाराम ‘बादल’ ने अपनी सहभागिता निभाए। अंतरराष्ट्रीय स्तर के इस आयोजन में वरोडरा से कार्यक्रम स्थल एकतानगर तक किसी भी समय लाने-ले जाने की व्यवस्था, ठहराव, भोजन एवं भ्रमण की सारी सुविधाएँ उत्कृष्ट एवं गुणवत्तापूर्ण रखी गई थी।
भारतीय भाषा संगम के इस कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में गुजरात के सांस्कृतिक प्रवृत्तियाँ व प्रवासी विभाग मंत्री श्री मूलुभाई बेरा ने देशभर के 41 प्रांतों से आए प्रतिभागियों का अभिनंदन करते हुए महात्मा गांधी व सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा भारत के एकीकरण करने हेतु किए गए प्रयासों की चर्चा करते हुए भारत की अनेकता में एकता का परिदृश्य प्रस्तुत करने वाले प्रतिभागियों को गुजरात के दृष्टव्य स्थलों के दर्शन करने का आमन्त्रण दिया और कहा कि इस प्रकार के आयोजन भारतीय समाज में एकता का संचार करते हैं।
इस दो दिवसीय भारतीय भाषा संगम में आठवीं अनुसूची में शामिल सभी 22 भाषाओं के अतिरिक्त 7 अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के भाषाविद उपस्थित हुए। भारतीय भाषा संगम की प्रमुख विशेषता यह रही कि सम्पूर्ण आयोजन को विभिन्न छोटे व समानांतर सत्र में बाँटा गया था जिसमें सभी प्रतिभागियों की सकारात्मक भूमिका रही। भारतीय भाषा के संरक्षण व संवर्धन को दृष्टिगत रखते हुए विभिन्न उप-विषयों पर चर्चा हुई जैसे भारतीय एकात्मकता के आधार स्त्रोत, शिक्षा, शोध और भारतीय भाषाएँ, शासन-प्रशासन और भारतीय भाषाएँ, प्रतियोगी परीक्षाओं और रोजगार में भारतीय भाषाएँ, व्यापार-व्यवसाय व वित्त क्षेत्र में भारतीय भाषाएँ, सूचना प्रौद्योगिकी, कृत्रिम मेधा और भारतीय भाषाएँ, विधि एवं न्याय क्षेत्र में भारतीय भाषाएँ, व्यवहार में भारतीय भाषाएँ : जनजागरण की दिशाएँ आदि विषयों पर नाना विद्वानों, भाषाविदों ने महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए। संगम में उपस्थित प्रतिभागियों से विचार-विमर्श करते हुए भारतीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के द्वारा शिक्षा में इसे किस तरह लागू किया जाए तथा अन्य क्षेत्रों में किस प्रकार आगे बढ़ा जा सकता है इसके सुझावों पर भी चर्चाएँ की गयी। पद्म भूषण प्रो.कपिल कपूर तथा पद्मश्री चमूकृष्ण शास्त्री जी ने भारतीय भाषाओं के महत्व और उपयोगिता पर सुन्दर वक्तव्य देकर सभी को गौरवान्वित किया। भारत सरकार के अनुवादिनी टूल के जनक श्री डॉ. बुद्धा चंद्रशेखर और माइक्रोसॉफ्ट के भाषा अधिकारी श्री बालेन्दु शर्मा दाधिची ने भारतीय भाषा और तकनीकी के समन्वय पर महत्वपूर्ण प्रस्तुति की। श्री भाग्येश ज्हा, श्रीजयेन्द्र जादव, श्री अतुल कोठरी, श्री ए.विनोद, श्री विनोद मिश्र, श्री सुधीर शर्मा, श्री राजू बोडो, श्री राजेश्वर सिंह, श्री चाँद किरण सलूजा, श्री सुनील बाबूराव कुलकर्णी, श्री आर. चंद्रशेखरन, श्री अनिल जोशी, श्री प्रेमपाल शर्मा, श्रीमती मृदुल कीर्ति, श्री ए.विनोद, श्री अशोक कड़ेल, श्रीमती प्रेमलता चुटैल आदि की विशेष उपस्थिति रही। जिन्होंने अपने वक्तव्य से सभी प्रतिभागियों को लाभान्वित किया।
संगम के समापन सत्र में गोवा के महामहिम राज्यपाल मा. पी.एस श्रीधरन पिल्लई की विशेष उपस्थिति रही। उन्होंने इस शिविर की सार्थकता पर बहुमूल्य विचार प्रस्तुत करते हुए उन्होंने गुजरात साहित्य अकादमी व शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के इस भगीरथ कार्य को साधुवाद दिया। हिंदी हस्ताक्षर, नाम पट्टिका, लेटर पेड, शिक्षा, तकनीकी, चिकित्सा, न्याय, कार्यालय के व्यवहार एवं बोलचाल में भारतीय भाषाओं की उपयोगिता सुनिश्चित करने के संकल्प के साथ यह अभूतपूर्ण भारतीय भाषा संगम का समापन हुआ।
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