भजन मंडलियों एवं भजन गायको द्वारा संगीत प्रवाह कर भव्य कलश शोभायात्रा का किया आयोजन
जीवन के कल्याण के लिये है भागवत कथा,,भागवत एक नाव है और नाव में जो बैठेगा वो भवसागर पार कर लेगा – विष्णु अरोड़ा जी
भाटापारा/khabar-bhatapara.in:-भाटापारा में नागरिक ज्ञान यज्ञ समिति के द्वारा कल्याण क्लब मैदान निहलानी हॉस्पिटल के सामने मध्यप्रदेश के जिला जावरा निवासी संत बालयोगी विष्णु अरोड़ा जी के मुखारविंद से 6 जनवरी से 14 जनवरी तक श्रीमद् देवी भागवत महापुराण कथा का आयोजन किया गया है। जिसके प्रथम दिवस पर पंचायती मंदिर से कलश शोभायात्रा निकाली गई, जो गोविंद चौक, राम सप्ताह चौक, आजाद चौक, हाई स्कूल से होते हुए कथा स्थल कल्याण क्लब मैदान भाटापारा पहुंची। धूमधाम से शोभायात्रा में जस गीत, भजन, देवी स्तुति गाते बजाते नाचते हुए शोभायात्रा निकाली गई । कथावाचक संत बालयोगी विष्णु अरोड़ा का धूमधाम से भजन संगीत के साथ कथा पंडाल में आगमन हुआ। नागरिक ज्ञान यज्ञ समिति के सदस्यों के द्वारा कथावाचक जी का स्वागत सम्मान हुआ एवं प्रथम दिवस की कथा आरंभ की गई जिसमें कथा प्रवचनकर्ता विष्णु अरोड़ा जी ने बताया कि मां भगवती के आशीर्वाद से आज से हम लोग देवी भागवत महापुराण प्रारंभ करने जा रहे हैं और मैं अपने आप को बहुत ज्यादा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं कि नागरिक ज्ञान यज्ञ समिति के तत्वाधान में चौथी बार भाटापारा में कथा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसके पूर्व भी इसी स्थान पर चर्चा हो चुकी है और वर्तमान में भी देवी भागवत कहने जा रहा हूं और इस भागवत का महत्व ज्यादा इसलिए मानता हूं क्योंकि इस कथा का उद्देश्य ही सभी का कल्याण करना है, जीवन के कल्याण के लिए हम लोग यह सत्संग कर रहे हैं और ऐसी भूमि पर बैठकर हम लोग यह कथा कह रहे हैं जिसका नाम ही कल्याण है। श्रीमद् भागवत एवं श्रीमद् देवी भागवत में बहुत सारी समानताएं हैं भागवत में भी 12 स्कंध है एवं देवी भागवत में भी 12 स्कंध है, श्रीमद् भागवत में भी 18 हजार श्लोक हैं और देवी भागवत में भी 18 हजार श्लोक हैं, श्रीमद् भागवत के पीछे भागवत शब्द लगा है, वहीं देवी भागवत के पीछे भी भागवत शब्द लगा है यहां तक कुछ विद्वानों का मानना है कि यह दोनों ग्रंथ अलग-अलग ग्रंथ है ही नहीं अपितु एक ही ग्रंथ है, लेकिन बहुत बड़ा ग्रंथ हो जाने के कारण इसे दो भागों में बांट दिया गया है। श्रीमद् भागवत में भगवान के 24 अवतारों की स्तुति की गई है लेकिन समझने की बात यह है की 24 अवतारों की स्तुति तो श्रीमद् भागवत में है लेकिन 24 अवतारों की कथा भागवत में नहीं है, कुछ अवतारों की कथा देवी भागवत में है अर्थात अगर 24 अवतारों की कथा सुननी है तो दोनों को मिलाना होगा तब 24 अवतारों की कथा संपूर्ण होगी। देवी भागवत की महत्वता अधिक इसलिए है क्योंकि यहां सुख और शांति दोनों मिलेगा। यह भागवत की कथा बड़ी अद्भुत और अलौकिक है । यह भागवत में लिखा है कि क्या-क्या मिलेगा। पुत्र, धन, वाहन, आयु, घर, जीवन साथी, राज्य, पद, सम्मान यह सभी चीज मिलेगी लेकिन आवश्यकता है देवी भागवत को जीवन में उतारने की। भागवत एक नाव है और जो इस नाव में बैठेगा वह भवसागर पार कर लेगा, भागवत रूपी नाव में बैठने का अर्थ यह है की भागवत के अनुसार जीवन जीने का प्रयास करना भागवत के सिद्धांतों को जीवन में उतारने का प्रयास करना है अगर हमने जीवन में देवी भागवत का एक वचन भी उतार लिया तो हमें जीवन में सुख, आनंद, शांति एवं जीवन का कल्याण प्राप्त होगा।
छत्तीसगढ आज
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