भाटापारा/khabar-bhatapara. in खमरिया,भाटापारा स्थित दिल्ली वर्ल्ड पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल में कक्षा नौवीं से बारहवीं तक के सभी छात्र-छात्राओं ने आज होने वाले मोदी के पाँचवें संस्करण ‘परीक्षा पे चर्चा’ का सीधा प्रसारण देखकर परीक्षा को लेकर तनाव,डर के साए में जीने वाले विद्यार्थियों ने इससे मुक्ति पाने का विचार किया। सभी विद्यार्थियों ने बड़ी उत्सुकता से ध्यान लगाकर पीएम मोदी के सुझावों को सुना और अपने अंदर बदलाव लाने का संकल्प लिया।
ज्ञात हो कि देशभर के छात्र-छात्राएँ हर वर्ष परीक्षा का समय आते ही तनाव डर के साए में जीने लगते हैं। ऐसे ही छात्र-छात्राओं की इस समस्या को दूर करने और उनमें आत्मविश्वास जगाने के उद्देश्य से हर वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद “परीक्षा पे चर्चा” कार्यक्रम के जरिए देशभर के विद्यार्थियों से रूबरू होते हैं। इस कार्यक्रम का यह पाँचवाँ वर्ष था। शुक्रवार 1 अप्रैल 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में छात्र-छात्राओं से परीक्षा पे चर्चा की। इसका देशभर में सीधा प्रसारण चल रहा था। इस बार का स्लोगन “परीक्षा की बात, पीएम के साथ” रखा गया। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा- ‘एग्ज़ाम में अगर त्यौहार नहीं मना पाते हैं तो परीक्षा को ही त्यौहार बना दें।’ उनके पास विद्यार्थियों अभिभावकों तथा शिक्षकों द्वारा कई प्रश्न भेजे गए, जिसका उन्होंने बड़ी सहजता व शालीनता से उत्तर दिया। भिन्न-भिन्न प्रश्नों के उत्तर में पीएम मोदी का उत्तर यह था कि परीक्षा जीवन का एक सहज हिस्सा है। परीक्षा के समय भी हम सहज दिनचर्या को अपनाएँ। जो किया है उसमें विश्वास भर कर आगे बढ़ना है।
ऑनलाइन ऑफलाइन शिक्षा के सवाल पर उन्होंने कहा कि दोष ऑनलाइन-ऑफलाइन पढ़ाई की नहीं है।अर्थात् “माध्यम समस्या नहीं है,मन समस्या है।”
वक्त के साथ पढ़ाई में बदलाव आता रहता है।
ऑनलाइन पाने के लिए है और ऑफलाइन बनने के लिए है।
नई शिक्षा नीति के सवाल पर उन्होंने नई शिक्षा नीति को राष्ट्रीय शिक्षा नीति की संज्ञा दी, जो विचारों और मंथन के बाद क्रियान्वित किया गया, जिसका पूरा देश पुरज़ोर स्वागत किया। जिसमें खेलकूद को शिक्षा का मुख्य हिस्सा बनाया गया। अर्थात् ज्ञान के भंडार के साथ-साथ हुनर का होना भी ज़रूरी है।
आधुनिक तकनीकी शिक्षा संबंधी सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि हमें अपने आप को 21वीं सदी के अनुकूल ढालना चाहिए,यही समय की माँग है। यदि इसके साथ कदम से कदम मिलाकर नहीं चलेंगे तो पीछे हो जाएँगे। पहले शिक्षा प्राप्त करने के बहुत सीमित साधन थे, किंतु अब नहीं।
शिक्षकों एवं अभिभावकों के संबंध में प्रधानमंत्री ने कहा कि बच्चों के सपनों को न समझ पाने से दूरियाँ बढ़ती हैं। अभिभावक अपनी अपेक्षाओं को बच्चों के ऊपर न लादें। दबाव के कारण वे अपने मनचाहे क्षेत्र में नहीं जा पाते। माता-पिता अपने सपनों को बच्चों पर न थोपें। बच्चों में हताशा की असली वजह समझने की कोशिश करें। बच्चों की पसंद-नापसंद का ध्यान रखें, क्योंकि वर्तमान में जीने वाला भविष्य में परेशान नहीं होता।
विद्यालय की प्रधानाचार्या ऋतु रजनीश ने भी पीएम मोदी के सुझावों पर अपनी सहमति देकर छात्र-छात्राओं को परीक्षा के तनाव एवं डर से मुक्त होकर सहज ढंग से परीक्षा देने की बात कही।
इस दौरान विद्यार्थियों सहित सभी शिक्षक भी उपस्थित थे।
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