भाटापारा/khabar-bhatapara.in:- बच्चों में आधारभूत बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान तथा निपुण भारत के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु समस्त प्राथमिक शिक्षकों को यह प्रशिक्षण प्राप्त करना अनिवार्य है। इसीलिए विगत 10 जून से यह प्रशिक्षण विभिन्न चरणों में विकासखंड स्त्रोत समन्वयक के मुख्य निर्देशन में आयोजित की जा रही है। इसी कड़ी इस प्रशिक्षण का दूसरा चरण 19 जून से 22 जून तक सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इसका आयोजन कस्तूरबा आवासीय विद्यालय परिसर में किया गया। छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग की इस अति महात्वाकांक्षी प्रशिक्षण को विकासखंड स्तरीय प्रशिक्षण के तौर पर प्रशिक्षण प्रभारी विकासखंड स्त्रोत समन्वयक श्री लेखराम साहू, विकासखंड शिक्षा अधिकारी श्री रामपाल के मुख्य संयोजन में यह चार दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया। विकासखंड के समस्त तीस संकुलों से प्राथमिक शालाओं के शिक्षक-शिक्षिकाओं की उपस्थिति रही। तीस संकुल को तीन जोन में विभाजित कर अलग-अलग कक्षों में प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई थी। जोन एक में मास्टर ट्रेन के रूप में मनोज साहू अजीम प्रेमजी फाउंडेशन भाटापारा, समन्वयक द्वय लखेश्वर शर्मा व बैसाखू राम साहू जी एवं प्रधानपाठक रामचंद्र ध्रुव जी थे। जोन दो में प्रशिक्षक के रूप में फाउंडेशन से इति शर्मा, संयोगिता शर्मा, समन्वयक द्वय टीकाराम साहू व ओमप्रकाश ध्रुव, शिक्षक कन्हैया साहू सक्रियता से रहे। इसी प्रकार जोन तीन में फाउंडेशन से नासिर सिद्धिकी, बाबूलाल प्रधान, समन्वयक द्वय लोचन नेताम व संतोष मानिकपुरी, शिक्षक खुशबू शर्मा रहे।
इस प्रशिक्षण में जिला स्त्रोत दल (डी आर जी) साथियों द्वारा प्रथम दो दिवस भाषा एवं गणित विषय के चार ब्लॉक मॉडल पर सविस्तार से चर्चा किया गया। इन विषयों पर उपस्थित शिक्षक समूहों द्वारा पाठ योजना बनाकर प्रस्तुत किया गया। प्रस्तुतिकरण के साथ-साथ समीक्षात्मक दिशानिर्देश भी दिए गये। भाषा एवं गणित की दैनिक ,साप्ताहिक तथा वार्षिक कार्य योजनाओं पर व्यापक विचार-विमर्श हुए। भाषा शिक्षण योजनांतर्गत 26 सप्ताह यानि कुल 156 दिनों में संपन्न कराए जाने वाले सभी गतिविधियों की जानकारी साझा किया गया। गणित शिक्षण हेतु 25 सप्ताह की कार्ययोजना साझा किया गया। इसी प्रकार बुनियादी गणित और संख्यात्मक समझ की अवधारणा पर विस्तारपूर्वक चर्चा किया गया। गणित विषय पर मौखिक गणित तथा खेल-खेल में गणित, बच्चों में गणित की समझ पर गतिविधियों का पाठ प्रदर्शन प्रशिणार्थियों द्वारा किया गया। प्रशिक्षण के माध्यम से पुनरावृति, आकलन तथा उपचारात्मक शिक्षण के आसान तरीकों से भी शिक्षकों को अवगत कराया गया।
प्रशिक्षण के तृतीय दिवस बच्चों को स्वयं से सीखने हेतु सीखाने हेतु “नवा जतन” की अवधारणा पर विस्तार से चर्चा किया गया। “नवाजतन” क्या है, इसकी आवश्यकता क्यों है? इस महत्वपूर्ण विषय पर उपस्थित प्रशिणार्थियों की समझ बनाई गई। इसके अंतर्गत इक्कीसवीं सदी के कौशलों को बच्चों में विकसित करने, आने वाले परिवर्तनों हेतु शारीरीक एवं मानसिक रूप से सक्षम बनाने की बात कही गई। “नवा जतन” बच्चों को सिखाने का नया तरीका सीखाता है। बच्चे स्वयं करके सीखें, शिक्षकों पर निर्भरता कम से कम हो। बच्चे चुनौती, पियर लर्निंग, पेयर लर्निंग, विषय मित्र, गली मित्र, ग्रुप लर्निंग, सेल्फी विथ सक्सेस के माध्यम से कैसे सीखते हैं? इस पर विस्तारपूर्वक जानकारी साझा किया गया।
इस प्रशिक्षण के चतुर्थ दिवस विद्यालय में पुस्तकालय की आवश्यकता और उपयोगिता पर चर्चा किया गया, मुस्कान पुरस्कार का प्रबंधन, बिग बुक का उपयोग, बाल साहित्यों की आवश्यकता एवं आपूर्ति पर बातें की गई। अंतिम दिवस के अंतिम सत्र में खिलौना शिक्षाशास्त्र पर आधारित “जादुई पिटारा”
पर आवश्यक चर्चा किया गया। बच्चे खिलौने तथा खेल के माध्यम से अपने विभिन्न दक्षताओं को विकसित कैसे करते हैं। खिलौनों से बच्चों में अनेक कौशलों का विकास होता है। मोबाइल से “ई जादुई पिटारा” का उपयोग कैसे करते हैं? कथा सखी, पेरेंट तारा तथा टीचर तारा की उपयोगिता पर बातें रखी गई।
बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान के उद्देश्यों को पूर्ण करने इस विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता रही। निपुण भारत के अंतर्गत प्रत्येक कक्षा अध्यापकों को यह प्रशिक्षण प्राप्त करना अनिवार्य रखा गया है। इस प्रशिक्षण का सतत मॉनिटरिंग एस.सी.ई.आर.टी द्वारा किया जा रहा था। डाइट रायपुर की ओर से श्री एल.आर.वर्मा, एपीसी जहीर अब्बास, एस.आर.जी क्षिप्रा अग्रवाल, अभिलाषा शर्मा, योगेश साहू, कमल नवरंगे आदि ने आवश्यकता अनुसार अपनी भूमिकाओं का निर्वहन बखूबी किए। अंतिम चरण का प्रशिक्षण 27 जून से 30 जून तक आयोजित होगा। इस प्रशिक्षण में पूर्व प्रशिक्षणों में अनुपस्थित शिक्षकों हेतु अंतिम अवसर होगा।
छत्तीसगढ आज
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