भाटापारा/khabar-bhatapara.in:- बजट के लिए रुचि अग्रवाल चार्टर्ड अकाउंटेंट भाटापारा ने कहा अगर आप प्रॉपर्टी या शेयर बाजार, कहीं भी निवेश किया है या निवेश करना चाहते हैं तो इस बजट में हुए बदलाव आप के लिये जानना बहुत ज़रूरी है . सरकार ने इस बजट में कैपिटल गेन टैक्स में बदलाव का ऐलान किया है. आसान भाषा में समझें तो कैपिटेल गेन टैक्स यानी की आपके मुनाफे पर लगने वाला टैक्स.
वित्त मंत्री ने श्रीमती निर्मला सीतारमण ने अपने यूनियन बजट में लॉन्ग टर्म की परिभाषा को भी स्पष्ट किया .
उन्होंने कहा कि जो लिस्टेड फाइनेंशियल एसेट्स हैं, उन्हें एक साल या उससे अधिक समय तक होल्ड करने पर ही लॉन्ग टर्म निवेश माना जाएगा. इसमें शेयर, म्यूचअल फंड भी आएंगे.वहीं, अनलिस्टेड फाइनेंशियल या नॉन फाइनेंशियल दोनों एसेट्स को अगर 2 साल या उससे अधिक होल्ड किया जाता है तो उसे लॉन्ग टर्म निवेश माना जाएगा.
वित्त मंत्री ने इस बजट में पूंजीगत लाभ (कैपिटेल गेन) टैक्स में बड़े बदलावों की घोषणा की है, साथ ही इंडेक्सेशन बेनेफिट के नियम को हटा दिया जिसका असर मुख्य रूप से रियल एस्टेट लेनदेन को प्रभावित कर सकता है।
संपत्ति की बिक्री पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (LTCG) 20% से घटाकर 12.5% कर दिया गया है. पहली नजर में आपको लगेगा कि सरकार ने लॉन्ग टर्म कैपिटेल गेन टैक्स को कम कर दिया है.लेकिन ऐसा नहीं हैं । दरअसल, प्रॉपर्टी बेचने पर अबतक जो इंडेक्सेशन बेनेफिट मिलता था उसे इस बजट में हटा दिया गया है. इंडेक्सेशन बेनेफिट में आपकी प्रॉपर्टी की महंगाई दर के हिसाब से नई कीमत निकाली जाती थी, उसके बाद जो रकम बचती थी उसपर 20 फीसदी टैक्स लगता था. लेकिन अब इसे बदल दिया गया है.
उदाहरण के तौर पर दस साल पहले अगर आप कोई प्रॉपर्टी 25 लाख की खरीदी थी तो आज उसका कीमत 1 करोड़ हो गई होगी. अब ऐसे में अगर आप इस प्रॉपर्टी को बेचेंगे तो पहले के नियम के अनुसार इसपर इंडेक्सेशन बेनेफिट लागू होता. यानी महंगाई को ध्यान में रखकर आपके 25 लाख की नई वैल्यू लगाई जाती. अब मान लीजिए की इण्डेक्सेशन के हिसाब से आज आपके जमीन की कीमत 80 लाख है तो आपके जमीन की कीमत 80 लाख मान ली जाती.फिर नियम के अनुसार आपके 20 लाख रुपये पर 20 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म गेन टैक्स लगता. लेकिन अब इस नियम को हटा दिया गया है.
नये नियम के अनुसार अब आपको पूरे 75 लाख पे 12.5% के दर से टैक्स का भुक्तान करना पड़ेगा। सरकार के इस फैसले से प्रॉपर्टी बेचने वालों को भारी टैक्स का झटका लग सकता है।
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