November 22, 2024

KHABAR BHATAPARA

छत्तीसगढ़ सबसे तेज-सबसे आगे

भाटापारा-स्थानीय क्षेत्र में धूमधाम से हलषष्ठी का व्रत मनाया गया। महिलाओं ने अच्छी संतान तथा उनकी लंबी उम्र के व्रत रखा।

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भाटापारा/khabar-bhatapara.in:- ग्रामीण क्षेत्रों तथा शहरी क्षेत्रों में 24अगसत शनिवार को व्रती महिलाओं ने छठी व्रत रखा और अपने पुत्र के दीर्घायु होने की कामना की। इसी दिन बलराम जयंती भी मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन बलराम जी का जन्म हुआ था तभी इस दिन को भक्त श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम के जन्मोत्सव के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाते हैं और इस दिन को हल छठ भी कहते हैं। इस व्रत को लेकर मान्यता है कि इस दिन विधि पूर्वक व्रत करने और पूजा कर व्रत कथा का पाठ करने से संतान की प्राप्ति होती है और मौजूदा संतान को दीर्घायु होने का आशीर्वाद मिलता है। लोगो का यह भी मानना है कि बहुत समय पहले एक ग्वालिन थी वह प्रसव पीड़ा में होने के बावजूद दूध-दही बेचने निकल गई। उसे लगा कि ऐसा न करने पर दूध दही खराब हो जाएगा। घर से निकलने पर तथा कुछ दूर आगे बढ़ने पर उसे प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। तब उसने एक झरबेरी की ओट में बच्चे को जन्म दिया और बच्चे को वहीं छोड़कर दूध बेचने चली गयी। संयोग से उस दिन हलषष्ठी थी। ग्वालिन ने गाय और भैंस के दूध को मिलाकर उसे बस भैंस का दूध बताकर बेच दिया। वहीं जहां उसका बच्चा था, उसके पास एक किसान खेत में हल जोत रहा था। अचानक किसान के बैलों ने बच्चे पर हमला कर दिया, जिससे उसकी मृत्यु हो गयी। किसान ने यह देखा तो बैलों को वहीं छोड़कर भाग गया। जब ग्वालिन वापस आई तो बच्चे की दशा देख दुखी हो गई और उसने महसूस किया ये उसके कर्मों की सजा है। तो वह अपने पाप का प्रायश्चित करने के लिए गांव वापस गई और सभी को सच बताकर माफी मांगी। फिर जब ग्वालिन झरबेरी के पास पहुंची तो वह अपने पुत्र को वहां जीवित देख हैरान रह गई। इसके बाद उसने हमेशा सही राह पर चलने का प्रण लिया। आज भी क्षेत्र की महिलाएं इस कथा का वर्णन हल छठ पर लोगों को सुनाती हैं और व्रत के उपरांत महुए के पत्ते पर महुआ दही तिन का चावल का प्रसाद चढ़ाकर स्वयं ग्रहण करती हैं।
भाटापारा शहर व ग्रामीण इलाकों में पुत्र की लंबी उम्र की कामना के लिए माताओं द्वारा ललही छठ का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान माताओं ने पुत्र के दीर्घायु और स्वास्थ्य के लिए ललही छठ माता की पूजन अर्चन के साथ सोहर गाकर मंगल कामना किया। नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में ललही छठ माता का पूजन अर्चन किया गया।

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