भाटापारा/khabar-bhatapara.in:- श्री 1008 आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में पर्यूषण पर्व महोत्सव धूमधाम से संपन्न हो रहा है. आज पर्युषण पर्व का पहला दिन उत्तम क्षमा धर्म है। सर्वप्रथम भगवान पारसनाथ जी की प्रतिमा मस्तक पर विराजमान कर पांडुक शीला में विराजमान की गई, पांडुक शिला में विराजमान होने के पश्चात आज का प्रथम अभिषेक करने का सौभाग्य प्रकाश आर्नव मोदी को प्राप्त हुआ। सभी भक्तों ने मिलकर भगवान का मंगल अभिषेक किया। उसके पश्चात शांति धारा संपन्न हुई ,आज की शांति धारा का सौभाग्य श्री प्रकाश सुमन लता मोदी ,श्री आर्नव अभिषेक नेहा मोदी को प्राप्त हुआ । शांतिधारा के पश्चात भगवान की मंगल आरती की गई। मंगल आरती के पश्चात प्रतिमा का मार्जन कर सभी भक्त धूमधाम से भक्ति के साथ श्रीजी की प्रतिमा को लेकर भक्ति नृत्य करते हुए बेदी में विराजमान किया।
आज की मंगल पूजा प्रारंभ हुई सर्वप्रथम देव शास्त्र गुरु की पूजा, सोलहकारण पूजा ,रत्नत्रय पूजा, दशलक्षण पूजा ,24 तीर्थंकर का अर्ध महाअर्ध समर्पित पूजा संपन्न की गई ।
धर्म सभा को संबोधित करते हुए श्री अभिषेक मोदी ने बतलाया धर्म का पहला लक्षण उत्तम क्षमा है ।आत्मा की स्वाभाविक परिणीति का नाम क्षमा है ।अपनी आत्मा के स्वभाव में स्थिर हो जाने का नाम क्षमा है ।व्यवहार में क्रोध के अभाव को क्षमा कहते हैं ।उत्तम क्षमा का मानव जीवन में वही स्थान है जो एक जीव के लिए आत्मा का। जिस प्रकार बिना आत्मा के इस मानव देह का कोई मूल्य नहीं, इस प्रकार क्षमा के बिना आत्मा का भी कोई मूल्य नहीं ।क्षमा धर्म वीरों का आभूषण है। जिसने क्रोध पर विजय प्राप्त कर ली वही वास्तव में वीर है। क्रोध क्षमा धर्म का विरोधी है। क्रोध रूपी विभव आपका हृदय में बैठा हुआ है ,उसे हटाओ ,और उसकी जगह क्षमता को प्रतिष्ठित करो। क्षमता कहीं गई नहीं ।क्षमता कहीं से आएगी भी नहीं। वह तो आपकी आत्मा में ही विद्यमान है। अतः क्रोध को छोड़कर क्षमा धर्म को अपनाए ।क्रोध ही समस्त अनर्थों की जड़ है ।जितना अनर्थ शेर ,सर्प, अग्नि, शत्रु ,जहर हमारा नहीं करते। उससे कई गुना ज्यादा अनर्थ क्रोध करता है ।यह क्रोध विकार उत्पन्न करने में मदिरा का मित्र है, भय उत्पन्न करने में सर्प का प्रतिबिंब है ,दूसरों को जलाने में अग्नि का भाई है ।और चैतन्य को नष्ट करने में विष वृक्ष के समान हैं ।अपनी कुशलता की इच्छा करने वाले कुशल मनुष्यों के द्वारा यह क्रोध जड़ मूल से उखाड़ फेंकने योग्य है। संसार में क्रोध के समान कोई पाप नहीं है। क्रोध के समान कोई शत्रु नहीं है। तथा संसार में जितने अनर्थ होते हैं वह सब क्रोध के ही कारण होते हैं ।हमें ऐसे क्रोध को छोड़ देना चाहिए। एक कहावत आती है कम खाना ,गम खाना ,ना हकीम पर जाना, ना हकीम पर जाना ।कम खाओगे तो बीमार नहीं पढ़ोगे और गम खाओगे तो लड़ाई झगड़ा नहीं होंगे ।
वकील के चक्कर नहीं काटना पड़ेंगे ,क्रोध आत्मा की एक ऐसी विकृति है कमजोरी है जिसके कारण व्यक्ति का विवेक समाप्त हो जाता है ।वह भूल जाता है कि वह क्या कर रहा है। क्या करने जा रहा है ,और इसका क्या परिणाम निकलेगा ।क्रोध आदमी की समस्या है, यह समस्या एक आदमी की नहीं बल्कि हर आदमी की है। क्रोध हिंदू को भी आता है, मुसलमान को भी आता है, ईसाई को भी आता है ।शायद ही ऐसा कोई आदमी हो जो क्रोध की समस्या से ग्रसित ना हो ,क्रोध जाति पाती को नहीं देखता ,छोटे बड़ों को नहीं देखता, अमीर गरीब को नहीं देखता ,ज्ञानी मूर्ख को नहीं देखता ,क्रोध सबको आता है, क्रोध पक्षपात नहीं करता।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से प्रकाश मोदी ,नवीन गदीया, आलोक मोदी, अभिनव, अभिनंदन, अक्षत, सुमन लता ,रजनी, नेहा, सुरभि मोदी, अनुराग जैन, अंकुश जैन, संदीप सनत कुमार जैन ,पंकज गदीया ,नितिन गदीया ,नैतिक गदीया, शोभा लाल जी जैन , अरिंजय आदि,अंशु मोदी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
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