भाटापारा/khabar-bhatapara.in:- छत्तीसगढ़ की सबसे प्राचीन एवं एतिहासिक रामलीला का मंचन बलौदाबाजार-भाटापारा जिला के भाटापारा नगर में आयोजित की जाती है, जिसका मंचन प्रतिवर्ष नवरात्र पक्ष में किया जाता है जो इस वर्ष भी आदर्श रामलीला नाटक मंडली भाटापारा द्वारा आगामी नवरात्र के प्रथम दिवस 3 अक्टुबर से किया जाएगा। आदर्श रामलीला नाटक मंडली भाटापारा के सदस्यो ने बताया कि यहां रामलीला समिति का गठन ब्रिटिश काल में सन 1920 मे स्थापित किया गया था, तब से रामलीला का मंचन हो रहा जिसका आगामी 3 अक्टुबर 2024 से आरंभ होने वाला रामलीला मंचन का 105 वें वर्ष का मंचन शंकर वार्ड स्थित रामलीला मैदान के मंच पर किया जाएगा जो 13 अक्टुबर 2024 तक 11 दिनो तक मंचन होगा । दशहरा उत्सव एवं रावण वध की लीला के साथ पुरे रामचरित मानस के आधार पर संपुर्ण रामायण का संक्षिप्त मंचन रावणभाटा मैदान भाटापारा में 12 अक्टुबर को दशहरा पर्व पर आयोजित होगा। रामलीला में नारदमोह, मुनिआगमन, धनुशयज्ञ, वनवास, सीताहरण, जटायुमरण, शबरी प्रसंग, रामसुग्रीव मित्रता, बालीवध, लंकादहन, विभिशण-शरणागति, अंगदरावण संवाद, लक्ष्मणशक्ति, मेघनाथ वध, कुंभकर्ण वध, अहिरावण वध, राजतिलक जैसी लीलाओ का मंचन कर भगवान राम के मर्यादा पुरषोत्तम चरित्र को दिखाया जाता है और धर्मसंस्कृति का प्रचार किया जाता है।
भाटापारा की रामलीला का है अनोखा साहित्य
आदर्श रामलीला नाटक मंडली भाटापारा द्वारा मंचित रामलीला का साहित्य अनोखे तरिके से तैयार किया गया है जिसमे गोस्वामी तुलसीदास कृत श्रीरामचरितमानस मुख्य आधार है, इसके अलावा यहां बोले जाने वाले संवादो में राधेश्याम रामायण, आर्य संगीत रामायण, रामचरित्र दर्पण रामायण, वसुनायक रामायण, ज्वालाप्रसाद कृत श्रीरामायण, नाट्य रामायण, हिन्दी रामायण, नथाराम गोंड संगीत रामायण, राधेश्याम पंडित कृत नाट्य जैसे अनेको साहित्य के मंथन और विशेषज्ञों व जानकारो द्वारा अनुवादीत हिन्दी के मिश्रण से रामलीला मंचन के लिए साहित्य तैयार किया गया है जिसके माध्यम से मनोरम एवं मनमोहक रूप से रामलीला का संचालन किया जाता हैं।
नन्हे बच्चो की कलाकारी है विशेषता वही मातृभाषा से जुड़ते है बच्चे
भाटापारा की रामलीला में 7 से 10 साल के बच्चे करते है अभिनय और बोलते हे फरार्टेदार रामलीला के संवाद। इस रामलीला मे 10 वर्ष का बच्चा कर रहा है लक्ष्मण का पात्र अभिनय। वही 2री से लेकर 12 तक के बच्चे अधिकतर रामायण के किरदार को निभाते है जिसमें राम,लक्ष्मण,सीता,रावण,हनुमान,कुंभकर्ण जैसे अनेक किरदारो को जीवंत करते हुए शानदार रामायणो के संवादो को बोलते हुए मंचन करते है। जिसके कारण इसे बच्चो की रामलीला भी कहते है साथ ही बच्चे इस रामलीला में साहित्यिक हिन्दी, संस्कृत , अवधि भाषा जैसे अनेक साहित्यो को सीखते है। जो वर्तमान में अंग्रेजी की आवश्यकता बच्चो को अपने मातृभाषा से दुर कर रही है वही ये रामलीला बच्चो को अपने धर्म संस्कृति से जोड़ते हुए मातृभाषाओं का भी ज्ञान दे रही है।
नवरात्र के नवमी पर होती है भव्य देवीलीला
नवरात्र मे प्रथम दिवस से आयोजित इस रामलीला में नवमी दिवस पर अहिरावण वध की लीला पर भव्य देवीलीला का आयोजन होता है जो भयानक डरावनी एवं पाताललोक का प्रदर्शन होता है जिसे देखने उस दिन रामलीला मैदान पर हजारो में लोगो की भीड़ होती है। मां निकुम्बला देवी की शानदार झांकी प्रदर्षित की जाती है। जिसमे अहिरावण के द्वारा रामलक्ष्मण का हरण कर देवी के समक्ष बली चढाने ले जाया जाता है और हनुमान जी द्वारा अहिरावण का वध किया जाता है। पुरे छत्तीसगढ़ नही अपितु पुरे देश मे इस तरह की भव्य देवी लीला प्रदर्शन भाटापारा की रामलीला में ही देखने को मिलता है।
स्थापित सन 1920 से रामलीला की नींव रखने वाले प्रेरणा स्रोत
वैसे तो भाटापारा के हर वार्ड एवं गली मे इस रामलीला के कलाकार मिल जाऐगें जिसमें पद्मश्री से सम्मानित छत्तीसगढ़ी फिल्मो के सुपर स्टार अनुज शर्मा, छ.ग.भाजपा उपाध्यक्ष शिवरतन शर्मा, पुर्व जिला पंचायत सभापति अश्विनी शर्मा, मुरारी मिश्रा, पंडित संतोष त्रिवेदी जैसे अनेक नामीगिरामी हर वर्ग के लोग यहां की रामलीला में अपने कलाकारी का जौहर दिखा चुके है। वही इस रामलीला को प्रारंभ करने वाले एवं निरंतर संचालित रखने वाले जिनके कारण रामलीला जीवंत रही जो हमारे प्रेरणा स्रोत के रूप में अमर नाम हो गए जिसमे कन्हैयालाल टोडर, महंत भगवानदास, शिवप्रसाद अग्रवाल, महादेव प्रसाद त्रिवेदी, छोटेलाल गुप्ता, गप्पूलाल केशरवानी, रामलाल केशरवानी, द्वारिका प्रसाद गुप्ता, शंकरलाल पुरोहित, राधेश्याम बावला, उमाशंकर त्रिवेदी, मन्नूलाल तिवारी, रामलाल जी चौरसिया, राधेश्याम शर्मा, कृष्णकुमार जी दुबे, ईश्वरीय प्रसाद गुप्ता, जुगल किशोर जोशी, लक्ष्मी नारायण गुप्ता, मूलचंद गुप्ता, अशोक कुमार मल, श्यामलाल गुप्ता, कालिका गुप्ता, मुकुन्द बरवाड़, सुनील वर्मा, रवि शर्मा, लाला शर्मा ।
रामलीला मंचन में पारम्परिकता के साथ आधुनिकता का प्रवेश
जहां रामलीला हारमोनियम, डोलक, मजीरे के साथ संचालित होती थी वही आधुनिक मोबाइल, टीवी, एवं सोशल मिडिया के जमाने के चलते रामलीला के दर्शक के मनमोहने एवं देखने की उत्सुकता बढ़ाने के लिए हारमोनियम के साथ, नाल-तबला, पेड जैसे आधुनिक वाद्य यंत्र, पारंपरिक कपड़े के पर्दो के स्थान पर सीन-सिनरी को बैकग्राउंड मे दिखाने के लिए एलईडी लगाई जाती है । आधुनिक साऊंड एवं कॉलर माईक का उपयोग किया जाता है। लाइट, वाटरप्रफ पंडाल एवं दर्शकों के बैठने के लिए कुर्सीयो की व्यवस्था की जाती है साथ ही खबर भाटापारा युटयुब चैनल के माध्यम से लाइव प्रसारण कर लोगो के मोबाइलो एवं स्मार्ट टीवी के माध्यम से घर-घर तक रामलीला दिखाने का प्रयास किया जाता है।
वर्तमान में ये कलाकार व प्रबंधन कर रही आदर्श रामलीला संचालित
बाल कलाकार आदित्य जोशी राम, लक्ष्मण वासु शर्मा, वैभव तिवारी,हनुमान लव शर्मा, सीता धरमपाल सोनी, रावण श्याममल , कुंभकर्ण अभि अग्रवाल, खर-दुशण लक्ष्य चौरसिया, आदित्य सोनी,जामवंत-दशरथ सागर जायसवाल, अंगद हर्ष गुप्ता,सुग्रीव काव्यांश शर्मा,संपाती-समुद्र मंगल मिश्रा, नारद व सुशैन शौर्य मिश्रा, परशुराम अक्षत जोशी, भरत अग्रांश शर्मा एवं नमन मल,मुकुल शर्मा,जयमल,गब्बर शर्मा,शुभ केशरवानी,संस्कार शर्मा, अकर्श केशरवानी, कार्तिक शर्मा, वीर शर्मा एवं वरिष्ठ कलाकारो में मनोज पिंटी गुप्ता, कोमल शर्मा,जगदीश वैष्णव,आयुश तिवारी शामिल है वहीं व्यासगद्दी प्रमुख रामलीला अध्यक्ष प्रकाश शर्मा, धन्जी भाई जोशी, देवनारायण लाला शर्मा, रामजी जोशी एवं मुख्य प्रबंधन सुर्यकांत बाबु शुक्ला, सहसचिव बजरंग लाल चौरसिया, कोषाध्यक्ष संदीप मोनू मल, हेमंत मल, राहूल तिवारी, सिद्धांत जाधव, राहूल जोशी, विनय ठाकुर, अमित मिश्रा, अभिनव तिवारी, साजसज्जा कार्य मे शिवनारायण गुप्ता, आदित्य गुप्ता एवं अन्य सदस्यो द्वारा सम्मिलित हो रामलीला संचालित किया जाता है।
छत्तीसगढ आज
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